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    52वें निर्वाण दिवस पर संत समाज ने दी ब्रह्मलीन स्वामी असंगानन्द महाराज को श्रद्धांजलि


    त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी असंगानन्द-स्वामी हरिचेतनानंद
    हरिद्वार, 24 जून। ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द महाराज के 52वें निर्वाण दिवस पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। कनखल स्थित श्री हरेराम आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कपिलमुनि महाराज के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि परम विद्वान ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द महाराज का त्यागमयी जीवन सदैव सभी को प्रेरणा देता रहेगा। सभी को उनके जीवन दर्शन से प्ररेणा लेकर मानव कल्याण में योगदान का संकल्प लेना चाहिए। स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी असंगानन्द महाराज त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे। महामंलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ऐसे महान मनीषी का सानिध्य प्राप्त हुआ। स्वामी कपिल मुनि महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। हरेराम आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी कपिलमुनि महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द महाराज से प्राप्त शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए आश्रम के सेवा प्रकल्पों का विस्तार और मानव कल्याण में योगदान करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद महाराज, महंत गोविंददास एवं स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। स्वामी कृष्णानंद महाराज ने फूलमाला पहनाकर सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज ने किया। इस अवसर पर स्वामी प्रबोधानंद गिरी, स्वामी विद्यानानंद, स्वामी विवेकानंद, महंत जगदीश दास, महंत गोविंद दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत प्रेमदास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत मुरलीदास, महंत बलवंत दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत दामोदर शरण दास, स्वामी दिनेशदास, महंत साधनानंद, महंत कौशलपुरी, स्वामी दर्शनानंद, बाबा लक्ष्मीदास, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी केशवानंद, डा.विष्णुदत्त राकेश सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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