हरिद्वार... 15जून...ऋषिकेश...श्रीराम कथा के श्रवण मात्र से जनमानस को एक सबसे शिक्षा मिलती कि किस प्रकार हम संसार में रहें, किस प्रकार से जीवन जिएँ और किस प्रकार अपने सामाजिक सम्बन्धों में प्रियता, मधुरता और अखण्ड का विस्तार हो। अधर्म को किस प्रकार से रोका जाय और धर्म तथा मानवीय मानबिन्दुओं का किस प्रकार से अभिरक्षण और संवर्धन किया जाय।
आचार्य नारायणदास जी महाराज ने बताया कि श्रीराम कथा हमें जीवन जीना सिखाती है। विपरीत और अनुकूल परिस्थिति में किस प्रकार से जीवन को सानन्द गतिमान रख सकें। मर्यादा पूर्ण जीवन जीने की कला श्रीरामकथा से ही समाज में सम्भव है।
आज की कथा में मुख्य रूप से महन्त श्रीछोटन दास जी महाराज, श्रीहितरासेश्वरीशरण जी महाराज(वृन्दावन)
कथा के यजमान श्रीसंजीव कुमार सिंह और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता, श्रीअजीत सिंह एडवोकेट, श्री रामू जोशी जी, श्री ललित जी भट्ट, श्रीअनिलकुमार सिंह (अयोध्या) श्रीकमलेश बक्श सिंह (लखनऊ) प्रशान्त अग्निहोत्री, सौरभ थपलियाल आदि और भारी मात्रा में सन्त-भक्त उपस्थित रहे।