कनखल.. श्री शुकदेव चरणदासी आश्रम मे भागवत कथा का रसपान कराते हुए व्यास श्री दिनेशानंद जी शास्त्री ने कहा कि राजा परिक्षित ने शुकदेव जी से दो प्रश्न किए जो भागवत कथा के दो मूल प्रश्न हैं
राजा ने पूछा महाराज मनुष्य को जीवन में क्या करना चाहिए ओर मृत्यु के समय क्या करना चाहिए शुकदेव जी बोले परिक्षित
मृत्यु के समय एक मात्र भगवान की स्मृति रहे
जीवन में वही करना चाहिए
उसके लिए शास्त्र समत विहित कर्मो के साथ भगवान की लीला कथा का श्रवण निरंतर करते रहे़
यह ही एक मात्र उपाय है
मृत्यु के समय स्थिर आसन पर बैठकर प्राणायाम के द्वारा मन को स्थिर रखते हुए
भगवान के स्थूल रूप की धारणा करें
जिस कुछ भी शेष नहीं रहता
तब यह मानव चराचर जगत को एक मात्र परमात्मा मे ही देखने लगता है तभी नित्य मुक्त हो जाता है