कनखल.. श्री शुकदेव चरणदासी आश्रम मे भागवत जी की महिमा श्रवण कराते हुए व्यास श्री दिनेशानंद शास्त्री जी महाराज ne कहा जैसे कलयुग की आयु चार लाख बत्तीस हजार वर्ष है
उसमें से पांच हजार से कुछ अधिक वर्ष व्यतीत हुए हैं
भागवत जी की रचना द्वापर युग के अंत में हुई है
इसी कारण द्वापर त्रेता यहां तक सत्ययुग के लोगों को भी इसको सुनने का सो भाग्य प्राप्त नहीं हुआ
जो कलयुग में है
रचना काल से विचार किया जाए तो अभी भागवत जी का बाल्यकाल ही चल रहा है
आने वाले समय मे
जैसे जैसे कलयुग का प्रभाव बढ़ेगा
उसके साथ साथ भागवत जी का प्रचार प्रसार प्रभाव समाज में बढ़ेगा
योगीयों का योग तपस्वीयों तप ज्ञानीयों ज्ञान भक्तो की भक्ति हंसो की परम हंस संहिता भागवत कथा है