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    खूबसूरती मनुष्य के शरीर में नहीं संस्कारों में होती है और भक्ति हृदय में वास करती है -- श्री श्री आनंदमयी साधना मां

    हरिद्वार 18 अप्रैल 2025--= दक्ष रोड कनखल स्थित श्री श्री कविता मां आश्रम माधव आश्रम में भक्त जनों के बीच अपने श्री मुख से ज्ञान की वर्षा करते हुए श्री श्री आनंदमयी साधना मां ने कहा शरीर सुंदर होने से कुछ नहीं होता जीवन में संस्कारों का होना नितांत आवश्यक है जिस प्रकार ऊपरी भाग से ऊपरी मन से कभी भक्ति नहीं होती भक्ति सदैव हृदय से की जाती है जिसके हृदय में भगवान और भक्ति का वास होता है उसका मानव जीवन सार्थक हो जाता है शरीर तो किसी का भी सुंदर दिखायी दे सकता है किंतु संस्कारों से उसके जीवन का व्यक्तित्व झलकता है सुंदरता व्यक्तित्व और मन की होती है सुंदर तो जीव भी होते हैं जो गंदी नालियों में कीचड़ में लेटे पड़े होते हैं किंतु जिसके व्यक्तित्व में जिसके मन में अच्छे संस्कारों का वास होता है भगवान का वास होता है उसका व्यक्तित्व दूर से ही सूर्य के सामान प्रकाशमान होता है और इन सब बातों में संगत का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है जैसी जिसकी संगत वैसी उसकी सोच अगर संगत अच्छी है तो उच्च सोच होगी सबके लियें अच्छा सोचेंगे अगर गलत संगत होगी तो सबके प्रति बुरे भाव मन में हिलोरे मारेंगे सबका बुरा करने की चाह मन में बसायी हुई होगी अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों के मन में बुराई का कोई स्थान ही नहीं होगा कहने का तात्पर्य यह है कि अगर कोई कुत्ता आपकी टांग में काट ले तो भलाई उसी में है कि आप उसका इलाज करवा ले रेबीज के इंजेक्शन लगवा ले भलाई कुत्ते की टांग में काटने में नहीं लेकिन जिसके मन में और संस्कारों में अच्छाई नहीं बस्ती जिनकी संगत ठीक नहीं होती वह बिल्कुल इसके विपरीत जायेगा और कुत्ते पर हमला करेगा और चार लोगों को कटवा देगा किंतु कभी शिष्टाचार का पालन नहीं करेगा वह तो जीव है उसमें सोचने समझने की क्षमता नहीं किंतु आप तो मनुष्य हैं आपके अंदर तो बुद्धि है इसलिये सदैव अच्छी संगत करें सदैव अच्छा भोजन करें सदैव साफ पानी पिये और अच्छे लोगों के साथ उठ बैठ बनाये क्योंकि जैसा खाया अन्न वैसा हो गया मन जैसा पिया पानी वैसी हो गई वाणी।

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